Wednesday, December 31, 2008

तुम्हारी बंद आंखों में

तुम्हारी बंद आंखों में

मेरी तस्वीर लहराए

थिरकता चाँद झीलों में

धवल उजियार फैलाये

सुधा की धार बह जाए

ह्रदय का तार छू जाए

kamldahझील में उजली किरण

श्रृंगार कर जाए


तुम्हारी बंद आंखों में ...

ह्रदय की रागिनी में प्रेम का

सुरताल मिल जाए

निकलकर झील से शुभ्रा

सुरों में सोमरस घोले

तेरी मैं हो चुकी कब से

निठुर अब तू मेरा हो ले

तुम्हारी बंद ......

ह्रदय की उर्मियों पर चांदनी

विस्तार पा जाए

जगत की चेतना में वेदना

निज सार पा जाए

तेरी पलकों के उठते ही

मेरी सूरत नजर आए

तुम्हारी बंद आँखों में

मेरी तस्वीर लहराए


स्तुति नारायण