निराली सी इक बात सच्ची कहानी
कहती थी जो मुझको बचपन में नानी
समझती थी जब मैं उसको कहानी
लेकिन न समझी थी तब उसका मानी
वह सच्ची कहानी नहीं थी कहानी
हमारी तुम्हारी ही थी जिंदगानी
स्तुति नारायण
सब एडिटर (सीनियर इंडिया )
साहित्य के सभी रसानुरागियों के लिए......................... साहित्य समाज का दर्पण है और समाज का उचित दिशा निर्देश करना इसका उद्देश्य , साथ ही सुहृदय पाठकों को रसास्वादन का आनंद देने के लिए अपने हृदय की दिव्य भावनाओं को शब्दों में पिरोकर उनके हृदय में रस का उद्रेक करवाना साहित्यकार की जिम्मेदारी भी है।
1 comment:
nothing more than WAH!!!!
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