Wednesday, November 5, 2008

प्रणय-बंध

प्राची के अरुणाभ क्षितिज से बालारुण का आना ,
स्वर्ण कलश ले उषा सुंदरी
का जग को नहलाना ,
प्रथम रश्मि का नेह नलिन को
हौले से छू जाना ,
प्रणय -बंध में मुक्त किरण का
औचक ही बंध जाना ,
जग के सिरजनहार आदि कवि
का लेखनी उठाना ,
रासेशवर का ब्रज गोपिन संग
ब्रज में रास रचाना,
विरह अग्नि की ज्वाला में
ब्रजवासी को झुलसाना,
ऐसा उसका दृश्य प्रकृति में
अपने को दर्शाना ,
शुष्क तपोवन में अमृत की
धारा बन बह जाना

स्तुति रानी
सब एडिटर , सीनियरइंडिया (मैगजिन)

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