तडप -तडप मन बोल रहा है
प्रियतम मेरे आ जाओ
जीना पल-पल कठिन हुआ है
थोडी आस दिला जाओ
आश्वासन दे कर ही ख़ुद को
जीवन पथ पर बढती हूँ
यादों में ही तुम्हे देख कर
दुनिया के संग चलती हूँ
आज थका मन बिखर रहा है
बांहों में सिमटा जाओ
तड़प -तड़प मन बोल रहा है
प्रियतम मेरे आ जाओ
जीना पल -पल कठिन हुआ है
थोडी आस दिला जाओ
मन के पार घने वट हो तुम
प्रेम बेल मैं लिपटी हूँ ,
कलियाँ फूल चटकते उनपर
खुशबू से मन भरती हूँ ,
आज लुटा है मन का सौरभ
बन परागकण छा जाओ
तड़प- तड़प मन बोल रहा है
प्रियतम मेरे आ जाओ,
जीना पल-पल कठिन हुआ है
थोडी आस दिला जाओ
एक घूंट अमृत का पीकर
विश्व ह्रदय में प्रेम भरू,
तुम्हे स्वयम में जी कर पलभर
दुनिया की तृष्णा हर लूँ ,
आज जला मन प्राण तृषा से
बन अमृत धार नहला जाओ
तडप -तड़प मन बोल रहा ....
स्तुति नारायण
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